स्वास्थ्य-चिकित्सा >> चमत्कारिक तेल चमत्कारिक तेलउमेश पाण्डे
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मूंगफली का तेल
मूंगफली के पौधे के विभिन्न नाम
हिन्दी-मूगफली, पंजाबी-मूगफली, बंगला-चायना बादाम, मराठी- निलाक्का डलाई गुजराती- मफ्फली, उड़िया- चायना बादाम, असमी-चायना बादाम, कन्नड़नेलागडाले, शैगा एवं कालेकाई, तमिल- निलाक्का डलाई, मलयालम- भुई-मग, तेलुगु-वेरूतनामा, अंग्रेजी- Peanutor Groundnut, लेटिन- Arachis Hypogea
यह वनस्पति जगत के माईमोसेसी कुल की सदस्य है।
मूंगफली का पौधा शाकीय प्रकृति का होता है। इसकी जड़ें मूसला प्रकार की होती हैं। स्तम्भ नर्म होता है जिसमें से शाखायें निकल कर जमीन के लगभग समानान्तर वृद्धि करती हैं। इन्हीं शाखाओं पर संयुक्त प्रकार की पत्तियां विकसित होती हैं। प्रत्येक पती में एक रेकिस होता है जिस पर समसंख्या में पर्णिकायें लगी होती हैं। शाखाओं पर ही पत्तियों के कक्ष से पुष्प निकलते हैं। पुष्पों के वृन्त लम्बे होते हैं। पुष्पों में स्वयं परागण होता है। परागण के पश्चात् पुष्प भूमिगत हो जाते हैं तथा वहां फल में परिवर्तित होते हैं। प्रत्येक फल में 2 से 5-6 बीज तक होते हैं। बीजों में पर्याप्त मात्रा में वसा होती है। इनमें 47 से 70 प्रतिशत के लगभग वसीय तेल होता है जिसे खाया भी जाता है। यह तेल घानी की सहायता से अथवा आधुनिक तकनीक में संपीड़न की सहायता से प्राप्त किया जाता है। यह तेल कुछ गाढ़ा तथा पीले वर्ण का होता है।
आयुर्वेदानुसार यह त्वचा पर उपकार करने वाला, उष्ण वीर्य, पित्तनाशक तथा पेशियों को ढीला करने वाला होता है।
मूंगफली के तेल के औषधीय प्रयोग
मूंगफली के नाम से सभी परिचित हैं। विशेष रूप से सर्दियों के मौसम में इसे स्वाद लेकर खाया जाता है। इसे गरीबों का बादाम भी कहा जाता है। मूंगफली के बीजों में पर्याप्त मात्रा में तेल होता है, इसलिये इसका काफी प्रयोग होता है। अधिकांश घरों में इस तेल से सब्जी आदि छौंकी जाती है। इसके अलावा मूंगफली के तेल के अनेक औषधीय प्रयोग भी हैं जो व्यक्ति को स्वस्थ रखने तथा रोगों की पीड़ा से मुक्त करने में अत्यन्त प्रभावी सिद्ध होते हैं। ऐसे ही कुछ औषधीय प्रयोगों के बारे में यहां बताया जा रहा है -
तेलीय त्वचा की समस्या से मुक्ति हेतु- कई लोग अपनी तेलीय त्वचा से काफी परेशान रहते हैं। ऐसे लोगों को दिन में एक बार स्नानोपरान्त अपनी त्वचा पर मूंगफली के तेल की मालिश करनी चाहिये। कुछ दिन तक इस प्रयोग के करने से त्वचा पर प्राकृतिक चमक आ जाती है।
मांसपेशियों एवं जोड़ों के दर्द पर- मांसपेशियों एवं जोड़ों में दर्द होने की स्थिति में लगभग 50 मिली. मूंगफली का तेल लें। इसमें 8 कलियां लहसुन की तथा 2 छोटी गांवें सौंठ को कूट कर डाल दें। इसके पश्चात् इस तेल को अग्नि पर भली प्रकार से कड़कड़ा लें। पर्याप्त उबल जाने के पश्चात् इसे उतार कर, ठण्डा करके सुरक्षित रख लें। इस तेल से दर्द वाले स्थान पर मालिश करने से लाभ होता है।
मोच-सूजन आदि पर- कभी-कभी पैर लचक-फिसल जाने से अथवा हाथों में चोट आदि के कारण दर्द-सूजन अथवा मोच आ जाती है। ऐसी स्थिति में थोड़े से मीठे तेल में गेहूं का आटा, हल्दी, सौंठ, राई एवं प्याज पीसकर मिला दें तथा मिश्रण को पर्याप्त गर्म कर लें। अब इसे थोड़ा ठण्डा करके सूजन या मोच वाले स्थान पर भली प्रकार से लगा कर ऊपर से रूई रखकर पट्टी बांध दें। इस प्रयोग से श्रेष्ठ लाभ होता है।
मूंगफली के तेल का चमत्कारिक प्रयोग
मूंगफली के औषधीय प्रयोगों के साथ-साथ इसके अनेक चमत्कारिक प्रयोग भी हैं। इन प्रयोगों के द्वारा आप अपनी समस्याओं को दूर कर सकते हैं। इसी प्रकार के कुछ चमत्कारिक प्रयोगों के बारे में यहां बताया जा रहा है-
> किसी भी व्यक्ति को कोई भी प्रकार की परेशानी हो अथवा उसका नुकसान हो रहा हो अथवा उसे नज़र आदि लगी हो तथा अन्य कोई परेशानी हो तो उसे यह प्रयोग लगातार कुछ दिनों तक अवश्य करना चाहिये। इसके प्रभाव से निश्चय ही उसकी समस्या दूर होती है। इस प्रयोग के अन्तर्गत फूल वाली दो लौंग ली जाती है। उस लौंग पर मूंगफली के तेल के छोटें दिये जाते हैं। इसके पश्चात् थोड़ा सा देशी कपूर किसी प्लेट में रखकर उस पर उत्त दोनों लौंग रखकर जला दिया जाता है। कपूर की अग्नि में लौंग भी जल जाती हैं। जितनी देर तक लौंग जले उतने समय तक उसी के पास बैठकर अपनी समस्या के दूर होने की प्रार्थना करें। जैसे कि मेरा रामकिशोर नामक शत्रु शान्त हो...इत्यादि। ऐसा करने से कुछ ही दिनों में परम सकारात्मक परिणाम दिखाई देने लगता है।
> समस्याग्रस्त किसी भी व्यक्ति के शयन कक्ष में मूंगफली के तेल में थोड़ा सा लौंग का तेल मिलाकर इस मिश्रण का दीपक नित्य जलाने से समस्या का निवारण होता है। इस प्रयोग में 50 ग्राम मूंगफली के तेल में 15 बूद लौंग का तेल मिलायें तथा रूई की फूलबती इस मिश्रण में डुबोकर किसी पीतल दीपक पर रखकर जलायें। इस प्रकार यह दीपक 5-10 मिनट तक जलेगा! तेल की उत्त मात्रा 8-10 दिन तक चलेगी। समाप्त होने पर उसी अनुपात में पुनः मिश्रण तैयार कर लें।
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